सामाजिक क्षेत्र में साहू समाज की भूमिका विशेष संदर्भ ’’सामूहिक आदर्श विवाह

 

नम्रता साहू1, डाॅ. वासुदेव सहासी2, डाॅ. शम्पा चैबे2

1डी बी गल्र्स पी जी कालेज, रायपुर

ष्2शासकीय जे. वाय. छत्तीसगढ़ कालेज, रायपुर

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू दंउतंजंेंीन18111990/हउंपसण्बवउ

 

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समाज सतत् परिवर्तनशील प्रतिमान है। समय के साथ साथ समाज में परिवर्तन अवश्यम्भावी है। परिवर्तन की इस धारा में छत्तीसगढ़ का साहू समाज भी प्रभावित हुआ है। समाजिक प्रगति ने धार्मिक क्रियाओं, अंधविश्वास तथा रुढ़ीवादी मन्यताओं पर प्रहार किया है। इसके साथ ही आदर्श विवाह विधवाआंे के पुर्न विवाह को प्रोत्साहन एवं समाजिक कुरितियों सम्बन्धी नियमों को समाज द्वारा कड़ाई से लागु किया गया। छत्तीसगढ़ राज्य में स्वास्थ सेवाओं का प्रसार भी इनके द्वारा किया गया यद्यपी सामाजिक व्यवस्था में अनेक उतार चढ़ाव आए किन्तु सामाजिक जागरुकता तथा राश्ट्रीय चेतना के विकास से आदर्श विवाह जैसे महत्वपुर्ण विकास कार्य से ग्रामीण जनजीवन में काफी सुधार आया है। विवाह में पुरानी खर्चिली मान्यताआंे में प्रश्न चिन्ह खड़े किये जा रहे है, नये मुल्य पुरानी मान्यताओं रिति रिवाज और परंपराआंे के चैराहे पर खड़े ग्रामीण समाज के लोगो के हृदय एवं विचारों मंे उथल पुथल एवं व्यवहार तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्रों में परिवर्तन प्रतिविंबित हो रहे है।

 

ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू सामूहिक आदर्श विवाह, समाजिक कुरितियों

 

 

 

प्रस्तावनाः-

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और मनुष्य जिस समाज में जन्म लेता है जीवन भर उसकी पहचान उस समाज से होती है। समाज ही उसे नाम, पहचान, पद, यश, कीर्ति प्रदान करता है। इसलिये मनुष्य को चाहिये। कि वो जिस समाज में पैदा हुआ है। जहाँ से उसे सब मिला है, उस समाज के लिए कुछ अच्छा कार्य कर जाये।

 

इसी भावना से ओत-प्रोत होकर साहू समाज के प्रमुख एवं चिंतन शील वर्ग के लोगों की आवश्यक बैठक आहुत की गई तथा समाज में सुधार लाने पर विचार मंथन हुआ। जिसमें निष्कर्ष सामने आया कि सामाजिक परिवर्तन समाज की दशा एवं दिशा तय करती है। इसलिए रूढ़ीवादी विचारधारा में बदलाव लाकर विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को संगठित कर आपसी भाईचारा एवं सद्भावना जगाकर सुसभ्य एवं शिक्षित समाज का निर्माण किया जा सकें जिसके फलस्वरूप सामाजिक क्षेत्र में काफी परिवर्तन आया।1

 

साहू (तेली) प्रमुख परम्परागत व्यवसायिक वर्ग है, जोे तेल निकालने और बेचने का कार्य करते थे। पहले तिल से बाद में मूॅगफली, सरसो, आदि से तेल निकालने वाली जाति तेली कहलाती है। वर्तमान में साहू के नाम से जाना जाता है। पराम्परागत व्यवसाय पूर्णतः बंद हो चुका है, अब ये कृशक है। शिक्षा, चिकित्सा, प्रशांसन, तकनीकी एवं निजी कंपनियों में अपनी सेवाएं दे रहे है। छोटे-बड़े सभी प्रकार के व्यवसाय करने लगे है। आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न है पृथक क्षेत्र में इनकी भागीदारी है।2

 

13 जून 1961 में Ÿाीसगढ़ साहू संघ झरिया शाखा का विधिवत पंजीयन ग्वालियर से हुआ तथा पंजीयन क्रमांक 33 मिला। क्षेत्र की यह प्रथम सामाजिक पंजीकृत संस्था बनी। अब तक इनका विस्तार Ÿाीसगढ़ के सभी जिलों में हो चुका है।3

 

इसके अलावा साहू समाज की अन्य शाखायें, हरदिहा शाखा, राठौर शाखा, रंगहा, तैली वैश्य शाखा तरहाने तेली शाखा इनका विस्तार एवं पंजीयन Ÿाीसगढ़ में हो चुका है।4

 

साहू समाज द्वारा सामाजिक क्षेत्र में किये गये कार्यः-

1.      साहू समाज द्वारा समाज में फैली विभिन्न कुप्रथाओं को समाप्त किया गया है। जैसे-पैयडु प्रथा, उड़डिया प्रथा, बिहाती, नाथ प्रथा, दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, कन्या भ्रुण आदि।

2.      समाज द्वारा अनेक स्वस्थ्य संबंधित कार्यक्रमांे का आयोजन निःशुल्क किया जाता है।5 रक्तदान शिविर-नेत्रदान शिविरों का आयोजन किया गया। पुरे प्रदेश मंे 31.000 लोगों का सिकलिंग परिक्षण किया गया।6

3.      शिक्षा के प्रचार के लिए Ÿाीसगढ़ साहू संघ प्रयत्नशील रहा है। समाज ने निर्धन छात्राओं के लिए छात्रवृŸिा हेतु प्रयास किया। जगह-जगह छात्रावास कर्मासदन निर्माण हेतु प्रोत्साह किया, कर्मा स्कूलों का निर्माण किया। छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की।

 

महिलाः

महिलओं का समाज में बराबरी का दर्जा है विधवा विवाह को समर्थन किया तथा दहेज प्रथा को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। महिलओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शराब बंदी करना स्वच्छता अभियान में शासन का सहयोग किया।7

आदर्श विवाहः

विवाह के फिजुल खर्ची को रोकने तथा विवाह में मौलिकता एवं आधुनिता लाने के लिए किया जाता है। इसमें वर-वधु की संख्या वृहद् रूप में ना होकर एक-दो जोड़ो में सम्पन्न हो जाता है। यह विवाह सामाजिक एवं धार्मिक सम्प्रदायों के माध्यम से सम्पन्न किया जाता जा सकता है।8

 

सामूहिक आदर्श विवाहः

आदर्श सामूहिक विवाह एक सामाजिक क्रांति की तरह है जो केवल सामाजिक समरसता का संदेश देता है बल्कि वर-वधु को पुरे समाज का एक साथ आर्शीवाद मिलता है। सामाजिक बुराइयों, कुरीतियों एवं खर्चीली शादियों को दूर करने का अनूठा प्रयास है। इसमें वर-वधु की संख्या वृहद रूप में रहती है। यह विवाह समाजिक, धार्मिक सम्प्रदायों तथा सरकार द्वारा भी करायी जाती है।9

 

साहू समाज के द्वारा किये गये सामूहिक आदर्श विवाह की श्रृखंला।

 

मुनगासेरः

महासमुंद जिला के बागबहरा, तहसील स्थित वह ऐतिहासिक गौरव ग्राम जिसने 15 मई 1975 को आदर्श सामुहिक विवाह के आयोजन के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत एवं सर्व समाज लिए आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।10

 

यह कसी समाज विशेष द्वारा इस संख्या में किया जाने वाला प्रथम सामूहिक आदर्श विवाह था। इस कार्यक्रम में 27 जोड़े सामुहिक आदर्श विवाह के परिणय सुत्र में बंधे।11 सुरमाल परिक्षेत्र के तत्कालीन जिलाध्यक्ष स्व. जीवन लाल साव, अध्यक्ष आशाराम साहू, उपाध्यक्ष जैतराम साहू, सचिव नाथूराम साहू थे।

 

2.      बागबहरा 1976:

सन् 1976 मंे हुए यह आयोजन बागबहरा मंडी कार्यक्रम का डाकुमेण्ड्री क्ल्कि सिनेमा घर के लिए बनाया गया तथा विडियों-फिल्म टी.वी. प्रसारण के लिए बनायी गई।12

 

इसके अलवा Ÿाीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में आदर्श सामुहिक विवाह को आयोजन हुआ।

1976 - दुर्ग राजनांदगांव 2, 1977 दुर्ग 28

1980 - अभनपुर 51, 1980 दुर्ग 28

नवापारा राजिम 25 1989 तेंदुकोना 5

1983 -  सिंधुपाली लखनपुर सराईपाली उड़ीसा में 27 फरवरी 1977 की 15 जोड़ो का हुआ है।13

 

संत मनता कर्मा आश्रम समिति-

धीरे-धीरे आदर्श विवाह का आयोजन कम होने लगा था। जिसे संत माता कर्मा आश्रम समिति रायपुर Ÿाीसगढ़ द्वारा पुनः प्रारंभ किया गया। यह एक पंजीकृत समिति है जिसका क्रमांक 1397/93 है। इसने प्रतिवर्ष संत माता कर्मा जयंती के दिन सामूहिक आदर्श विवाह को निरंतर मानने का संकल्प लिया।

      समिति द्वारा प्रथम सामूहिक आदर्श विवाह 18 मार्च 1993 को 8 जोड़ो का विवाह भामाशाह छात्रावास परिसर रायपुर में सम्पन्न हुआ। इसमें सर्वजाति जोडे़ एवं परित्यकता विधवा महिलाओं का पुर्नविवाह हुआ। विधवा महिलाओं का पुनर्विवाह कराने पे समिति को विरोध का सामना करना पड़ा।14

      आश्रम समिति द्वारा किये गये आदर्श सामूहिक विवाह -

        54 जोडे़-1994-रायपुर

        101 जोड़े 1998- सपे्र स्कूल रायपुर

        101 जोड़े 2006- सपे्र स्कूल रायपुर

        70 जोड़े 2013 - साइंस कालेज

      1998 में साहू समाज के स्वजातिय जोड़े के अलवा अन्य जातियों के जोड़ो का विवाह हर साल उसमें शामिल किये गये। साथ ही निशक्त जनों का विवाह भी किया जाता है।

      2004 में सिकलिंग जाॅच समिति द्वारा सभी जोड़ो का जाॅच कराना प्रारंभ किया गया।

      2013 कन्या भ्रुणा हत्या को रोकने के लिए सभी जोड़ो कि समिति द्वारा आठवा वचन दिया जाता है।15

      विवाह पद्धति संत श्री सुकृत साहेब द्वारा सम्पन्न किया जाता है आदर्श विवाह हेतु वर-वधु को परिधान, मंगल सूत्र, पूजा सामग्री, पाॅच बर्तन समितिद्वारा प्रदानकिये जाते है। विवाह में शामिल होने वालों की भोज व्यवस्था, पंडाल व्यवस्था आदि सभी समिति द्वारा जन सहयोग से जुटाई जाती है। इसके अलावा जिन व्यक्तियों को मुख्य मंत्री खद्यान योजना के तहत् पात्र हितग्राहियों को शासन द्वारा सुविधा दी जाती है। ऐसे जोड़े को उपरोक्त लाभ समिति द्वारा उनको शासन से दिलवाया जाता है। इस प्रकार समिति 25 वर्षों से लगातार सामुहिक आदर्श विवाह का आयोजन कर रही है।

 

इसके पश्चात् Ÿाीसगढ़ साहू संघ जिला साहू संघ तहसील साहू संघ, ग्राम साहू संघ, नगर साहू संघ द्वारा भी प्रतिवर्ष इसका आयोजन संपूर्ण क्षेत्रों में अलग स्थानों में होने लगा।16

 

वर्तमान में साहू समाज के अन्य शाखाओं द्वारा जैसे-4 फरवरी को वैश्य साहू समाज द्वारा 11 जोड़ो का विवाह रायपुर के टीटीबंध स्थित मोहन मेरिज पैलेस में आयोजित हुआ।17

 

20 फरवरी 2018 को हरदिहा साहू समाज द्वारा 80 जोड़ो का आदर्श विवाह। महादेवघाट रायपुर में करवाया गया।18

 

आदर्श सामुहिक विवाह की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही की राज्य शासन द्वारा इस आयोजन को शासकीय तौर पर अपनाकर मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के रूप में पुरे वर्ग के लोग लाभ उठा रहे है। इस तरह साहू समाज की यह एक समाजिक क्रंाति पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहा है। समानता एवं कुरीति उन्मूलन का भाव लिए सामूहिक आदर्श विवाह का क्रम अनावरत जारी है।19

 

सामूहिक आदर्श विवाह को दे आंदोलन रूप।

विवाह करो दहेज का एक यही मार्ग अनुरूप।।

 

संस्कृति सभ्यता जाति यश गया नारि सम्मान।

धन, दहेज के लोभ वश हाथ लगा अपमान।।

 

महंगाई के दौर में, करो आदर्श विवाह।

क्या बैन्ड बारात बिना होता नही विवाह।।

 

पढ़ लिखकर व्यापार में लगे आप के लाल।

सद्गृहणी कन्या चुने भले लाये माल।।

 

दारू सेवन, धन प्रदर्शन नहीं वैश्य निशान।

आदर्श विवाह समाज की है सच्ची पहचान।।

 

सामूहिक विवाह हमें सिद्व हुए वरदान।

रूका फिजूल खर्ज और नारी का अपमान।।20

 

संदर्भः

1.      आदर्श सामूहिक विवाह रजत जयंती वर्ष, 24 मार्च 2017, संत माता कर्मा आश्रम समिति, रायपुर (Ÿाीसगढ़)पृ 22

2.      ठाकुर, हेमावती, Ÿाीसगढ़ के धमतरी नगर का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृति अनुशीलन (सन् 1881 . 2001 . तक) वैभव प्रकाशन रायपुर Ÿाीसगढ़ 2012, पृ. 187

3.      समिति का पंजीयन प्रमाण पत्र, Ÿाीसगढ़ शासन, क्रमांक 33/6/-1962

4.      प्ठब् 24 भक्त माँ कर्मा पूर्वजो से वंराजों तक पृ..83

5.      श्री कृपा राम साहू जी साक्षात्कार दिनांक 31.12.2017 पर आधारित।

6.      डाॅ. धिरेन्द्र साव जी साक्षात्कार दिनांक 05.02.2018 पर आधारित।

7.      श्री कृपा राम साहू जी साक्षात्कार दिनांक 31.12.2017 पर आधारित।

8.      साहू वैश्य महासभा, अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा की एक मात्र प्रमुख मासिक पत्रिका, 1992, पृ.18

9.      माननीय मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह भाषण, नई दुनिया महासमुंद 22 जनवरी 2017

10.     तैलिक धरोहर 2018, महासमुंद जिले का इतिहास जिला साहू संग महासमुंद (Ÿाीसगढ़ ), पृ. 24

11.     सरस सुखदेव राम साहू, साहू वैश्व जाति का इतिहास समाज गौरव प्रकाशन, रायपुर (.),पृ. 53,

12.     जैतराम साव, साक्षात्कार, 31.02.2018 पर आधारित।

13.     भक्त माता कर्मा जयंती के पावन पर्व पर संत माता कर्मा आश्रम समिति रायपुर द्वारा आयोजित, आदर्श सामूहिक विवाह का दर्शन, राजिम माता शोध एवं शिक्षण संस्थान (पंजीकृत) रायपुर।

14.     श्रीमती सरिता साहू जी से साक्षात्कार पर अधारित दिनांक 03.03.2018

15.     श्री संतराम साहू जी से साक्षात्कार पर आधारित 03.03.2018

16.     आदर्श सामूहिक विवाह रजत जयंती वर्ष, 24 मार्च 2017 संतराम कर्मा आश्रम समिति, रायपुर पृ. 22-23

17.     स्वय अवलोकित।

18.     नई दुनिया 21 फरवरी 2018

19ण्    तैलिक धरोहर 2018 महासमुंद जिले का इतिहास जिला साहू संघ महासमंुद Ÿाीसगढ़, पृ. 27

20ण्    साहू सम्पर्क पत्रिका

 

 

 

 

Received on 14.11.2018                Modified on 02.01.2019

Accepted on 20.01.2019            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):49-52.